नई दिल्ली, 01 जनवरी : पीपुल्स अवेयरनेस फोरम के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता जे़ड के फ़ैज़ान ने पिछले दिनों वाराणसी के उदय प्रताप कालेज कैम्पस में स्थित प्राचीन मस्जिद में नमाज अदा करने से रोके जाने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्राशासन का यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण एवं निन्दनीय है। उन्होंने कहा कि प्राशासशन ने कानून व्यवस्था की स्थिति का बहाना बना कर पिछले ३ दिसंबर से मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगा रखी है जब कि कालेज के स्तित्व में आने से पहले से ही यह मस्जिद वहां मौजूद है और इस में लगातार नमाज होती चली आ रही थी। ऐसी स्थिति में कानून व्यवस्था के नाम पर नमाज पढ़ने से रोका जाना गलत,अन्यायपूर्ण तथा चिन्ता का विषय है।
ऐडवोकेट जे़ड के फ़ैज़ान ने कहा कि कानून व्यवस्था बरकरार रखना सरकार की जिम्मेदारी है परन्तु इस का यह मतलब कतई नहीं कि प्रशासन जिस कार्यक्रम को चाहे होने दे और जिसे चाहे रोक दे। सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह हर हालत में वहां नमाज पढ़ने की व्यवस्था करती तथा जो भी लोग इस में बाधा डालते उन के विरुद्ध कार्रवाई करती मगर उसने तो उल्टा नमाज पढ़ने पर ही पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी, यहां तक कि जुमा की नमाज भी नहीं पढ़ने दे रही है।
जे़ड के फ़ैज़ान ने कहा कि देश हिन्दू मुस्लिम नफरत की आग में पहले से ही झुलस रहा है और भारतीय जनता पार्टी की सरकारें अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस में लगातार घी डालने का काम कर रही हैं जो कतई राष्ट्र हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि सम्भल में जिस तरह मुसलमानों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा रही है वह असहनीय है और यदि यह सिलसिला जारी रहा तो इसका असर पूरे देश पर पड़े गा और पूरे मुल्क में अव्यवस्था फैले गी । उन्होंने कहा कि आज देश का सब से प्रमुख मसला फिरका परस्ती की आग को ठंडा करने का है और उन तमाम राजनीतिक दलों की जो जम्हूरियत और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखती हैं , उन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इन फिरका परस्त ताकतों के खिलाफ उठ खड़ी हों और फिरका परस्ती की इस आग से देश को बाहर निकालने का काम करें। अन्यथा देश एवं मुसलमानों का चाहे जो भी हाल हो, इन राजनीतिक दलों का स्तित्व भी स्वयं ख़तरे में पड़ जाए गा। उन्होंने सवाल किया कि अभी डा. अम्बेडकर के सम्बन्ध में अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर सभी राजनीतिक दल जिस तरह सरगर्म हैं और जो तत्परता और तेवर दिखा रहे हैं, वही तेवर एवं तत्परता इस सम्बन्ध में देखने को क्यों नहीं मिल रही है जबकि मेरी दृष्टि में बढ़ता हुआ हिन्दू मुस्लिम मुनाफरत का मामला इस से कहीं ज्यादा गम्भीर है जिस को यदि न रोका गया तो देश तबाह हो जाये गा।