किसान और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा, अब क्या होगा किसानों का अगला क़दम ?

Farmers Protest

नई दिल्ली, 19 फरवरी (एच डी न्यूज़ ): पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मांगों पर अड़ गए हैं । इस बीच, सोमवार को शंभू बॉर्डर पर किसान नेताओं का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन हुआ। केंद्र सरकार का प्रस्ताव किसान संगठनों ने इस बैठक में खारिज कर दिया। किसान 21 फरवरी को दिल्ली जाने के लिए तैयार हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार की सोच गलत है। हमारी मांगों पर सरकार गंभीर नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फॉर्मूला बनाए। सरकारी प्रस्ताव किसानों को कोई लाभ नहीं देगा।
डल्लेवाल ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव में कोई स्पष्टता नहीं है। नाप-तोल करने पर सरकार के प्रस्ताव में कुछ दिखाई नहीं देता। 1.75 लाख करोड़ रुपये की लागत से हमारी सरकार बाहर से ताड़ का तेल खरीदती है, लेकिन खेती के लिए तिलहन के लिए इतनी रकम दी जाती तो किसानों को बहुत फायदा होता। किसान नेता पढेर ने कहा कि हम 21 फरवरी को दिल्ली चले जाएंगे। फिलहाल सरकार से कोई बैठक नहीं होगी। लेकिन हम हमेशा बातचीत करने के लिए तैयार हैं। डल्लेवाल ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारी मांगें सुनें या शांतिपूर्वक दिल्ली में बैठने की अनुमति दें।

हमारी सभी किसान भाइयों से अपील है कि वे हिंसा से दूर रहें। रविवार को किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथी बार चर्चा हुई। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय इस बैठक में उपस्थित थे। केंद्र और किसानों ने 8 फरवरी, 12 फरवरी और 15 फरवरी को भी चर्चा की थी। अब तक की बैठकें  बेनतीजा ही रही हैं। हालाँकि, सरकार ने रविवार को हुई चौथी बैठक में किसानों को एक नया प्रस्ताव या ‘फॉर्मूला’ दिया है।किसानों ने सरकारी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, उसमें कुछ भी नहीं है। सरकार के इस प्रस्ताव पर सोमवार को किसान नेताओं ने बैठक की। एमएसपी पर कानूनी गारंटी किसानों की सबसे बड़ी मांग है। किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी पर नियम बनाए हैं। किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए एमएसपी से भी मांग की है।
किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है।

स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने का सुझाव दिया था। आयोग की रिपोर्ट को 18 साल हो गए हैं, लेकिन MSP पर सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया गया है। किसानों के निरंतर आंदोलन की भी यही बड़ी वजह है। इसके अलावा, वे बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी नहीं करने की मांग कर रहे हैं, किसानों को पेंशन देने, कर्जमाफी देने, लखीमपुर खीरी हिंसा में पीड़ित किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।