मौलाना अरशद मदनी ने इस फैसले को पीडितों की जीत करार दिया है
नई दिल्ली। बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आज आए फैसले पर जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए इसका स्वागत किया है और इसे पीडितों की जीत करार दिया है।
मौलाना ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन मजलूम लोगों को इंसाफ दिलाने वाला है जिनके मकान को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया को पूरा किए हुए बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया था। मौलाना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वह इस मामले को लेकर गए थे और बड़े से बड़े वकील को उन्होंने इस केस को लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट में खड़ा किया था। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आज माना है कि बुलडोजर चलाकर किसी का घर गिराना किसी अपराध की सजा नहीं है।
सरकार जज बन कर बुलडोजर चलाकर किसी का घर गिराने का फैसला नहीं दे सकती। कोई चीज वैध है या अवैध, इसका निर्णय न्यायपालिका ही करेगी। मौलाना ने कहा कि अदालत की यह तिप्पणी सबकुछ बयान कर रही है।उन्होंने बताया कि इस फैसले के आने के बाद से अब किसी भी स्थान पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होगी और लोगों के मकान सुरक्षित रहेंगे। मौलाना ने कहा की हम चाहते हैं कि जहां-जहां भी बुलडोजर की कार्रवाई हुई है और अवैध रूप से मकानों को गिराया गया है उन सभी मकानों को दोबारा से बनाने के लिए सरकारों को मुआवजा देना चाहिए क्योंकि जिन लोगों के मकान गिरे हैं उनका कोई कसर नहीं है और वह निर्दोष हैं। उन्होंने कहा कि बल्कि हम चाहते हैं कि इस तरह की बुलडोजर की कार्रवाई में शामिल लोगों से पैसा वसूला जाए और उस पैसे से उन मकानों का दोबारा से निर्माण कराया जाए। उन्होंने बताया कि उनके जरिए बिना किसी कसूर के जेलों में बंद लोगों को छुड़ाने का जो काम किया जा रहा है।उसमें भी कई ऐसे लोग हैं जिनको सारी जिंदगी जेल में बंद रखा गया और उन्हें जब थोडा गया है तोवह पूरी तरह से बेकार हो गए किसी काम के नहीं रहे तो उन्हें भी सरकारों से मुआवजा दिए जाने की मांग हम कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों की पूरी जिंदगी ही जेल में खत्म हो गई वह बाहर निकलकर क्या कर पाएंगे, इसलिए उनके जीवन यापन के लिए सरकारों को उनकी मदद करनी चाहिए ।