जुमा और होली: एकता और भाईचारे का प्रतीक है- एडवोकेट शादाब

शोएब क़मर – पचपेड़वा/तुलसीपुर

एडवोकेट शादाब (रिजवानुद्दीन अहमद ) भावी प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्य वार्ड नंबर 3 भगवानपुर शिवपुर जनपद बलरामपुर का कहना है इस बार एक खास संयोग बना है जुमा (शुक्रवार) और होली एक ही दिन पड़ रहे हैं। यह संयोग केवल एक तिथि मात्र नहीं है, बल्कि हमारे समाज की साझा संस्कृति और आपसी सद्भाव का प्रतीक है। भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि धर्म और परंपराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन हमारे दिलों में प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना समान होती है।

जुमा का महत्व

इस्लाम में जुमा का दिन बेहद खास माना जाता है। यह इबादत, दुआ और एकजुटता का दिन होता है। मुस्लिम समाज इस दिन नमाज अदा करता है, खुदा से रहमत की दुआ मांगता है और एक-दूसरे के साथ मिलकर अपने रिश्तों को मजबूत करता है। जुमा हमें सिखाता है कि समाज में भलाई के लिए मिलकर काम करना और इंसानियत को सबसे ऊपर रखना कितना जरूरी है।

होली का संदेश

होली रंगों, उल्लास और भाईचारे का पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हमें नफरत को छोड़कर प्रेम और सद्भावना अपनाने का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, गले मिलते हैं और साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं।

एकता और सौहार्द्र का संगम

जब जुमा और होली एक ही दिन पड़ते हैं, तो यह हमें हमारी साझी विरासत की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि चाहे कोई भी धर्म हो, सबका मूल संदेश प्रेम, शांति और भाईचारा ही है। इस मौके पर हमें एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होकर इस संदेश को और मजबूत बनाना चाहिए। मस्जिदों में जुमा की नमाज होगी, तो मंदिरों और गलियों में रंगों की होली भी खेली जाएगी। यह दृश्य इस बात का प्रमाण होगा कि हमारी विविधता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।