महात्माबुद्ध, चिश्ती, नानक और गांधी के देश में नफरत कभी स्वीकार नहीं की जा सकती.
मौलाना महमूद मदनी
सार:👇
जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जिस तरह से दलित समुदाय को सदियों तक छुआछूत का शिकार बनाया गया, उनके अस्तित्व को नापाक के रूप में प्रस्तुत किया गया. अब मुसलमानों के साथ भी वैसा ही व्यवहार कर के उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की नापाक साजिशें रची जा रही हैं।
विस्तार:👇
नई दिल्ली:जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने आज जमीयत कार्यालय बहादुर शाह ज़फर मार्ग से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कांवड़ यात्रा के मार्ग पर धार्मिक पहचान को उजागर करने के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी निंदा की है।मौलाना मदनी ने इस फैसले को अनुचित और पक्षपातपूर्ण बताया और कहा कि मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की घिनौनी साजिश रची जा रही है.गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रामार्ग पर ठेले, ढाबों और दुकानदारों को अपने नाम का बोर्ड लगाने के साथ ही दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों के नाम भी लिखने को कहा था. इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक दलों में जबरदस्त बहस छिड़ गई और हर तरफ से निंदा का सिलसिला शुरू हो गया. यह ट्विटर पर # के साथ वायरल हो गया। आखिरकार मुजफ्फरनगर पुलिस को मामला वापस लेना पड़ा, लेकिन उसके बाद यूपी सरकार ने एक बार फिर फैसला दोहराते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा जारी आदेश लागू रहेंगे।आज जुमे की नमाज़ के बाद जारी बयान में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जिस तरह सदियों से दलित समुदाय को अछूत बनाकर उनके अस्तित्व को नापाक के तौर पर पेश किया गया. अब मुसलमानों के साथ भी वैसा ही व्यवहार कर उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की नापाक साजिश रची जा रही है. यह प्रक्रिया देश की सांस्कृतिक पहचान, उसके नक्शे, उसकी संरचना और उसकी महानता को नष्ट कर रही है। जिसे महात्माबुद्ध, चिश्ती, नानक और गांधी के देश में कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता.
मौलाना मदनी ने तर्क दिया कि इस फैसले को व्यवहारिक तौर पर एक खास क्षेत्र में लागू किया जा रहा है, लेकिन इसका असर दूरगामी होगा और इससे उन ताकतों को मजबूती मिलेगी जो मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार चाहती हैं.मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि कांवड़ यात्रा जिन इलाकों से होकर गुजरती है वहां मुस्लिमों की बड़ी आबादी है. मुसलमानों ने हमेशा उनकी आस्था और विश्वास का सम्मान किया है और उन्हें कभी ठेस नहीं पहुंचाई है। लेकिन इस तरह का आदेश सांप्रदायिक सौहार्द को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा और लोगों के बीच दूरी और गलतफहमी पैदा करेगा। मदनी ने राज्य सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है। गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर वही जिला है जहां 2013/14 में नफरत की राजनीति करते हुए एक बीजेपी नेता ने जहर उगलकर मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक झगड़ा कर दिया थार। जिसमें 60 से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी, हजारों लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।