हमारा उद्देश्य अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना और उनका समाधान करना है

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन ने प्रमुख हस्तियों से मुलाकात के दौरान अपने विचार व्यक्त किये
नई दिल्ली: 8 मार्च  (एच डी न्यूज़): राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय महासचिव और अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन की जानिब से यहां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रात्रिभोज का आयोजन किया जिसमें कई महत्वपूर्ण हस्तियों ने भाग लिया और वर्तमान स्थिति पर चर्चा की।  शाहीजामा मस्जिद के सैयद तारिक बुखारी, एमआईएम दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष कालीमुल हफ़ीज़, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी, अंजुमन दरगाह शाहे मर्दां के महासचिव बहादुर अब्बास, सदस्य जामी रिज़वी, राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक अब्दुल माजिद निज़ामी, मुंसिफ टीवी के संपादक खुर्शीद रब्बानी, सियासी तक़दीर के संपादक मुस्तक़ीम  खान, जाने-माने प्रकाशक शफीकुल हसन, सामाजिक कार्यकर्ता नूर आलम, आमिर अंसारी, चौधरी मुबाशिर खान के अलावा एनसीपी के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष फैज़ अहमद फ़ैज़, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय मीडिया इंचार्ज  डॉ. मुमताज आलम रिज़वी समेत कई प्रमुख पत्रकार और पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए. इस मौके पर चर्चा का दौर भी चला जिसमें सैयद जलालुद्दीन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं स्पष्ट कर दूं कि एनसीपी की विचारधारा आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी।
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यह सच है कि हम महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सरकार चला रहे हैं और हमारे नेता श्री अजीत पवार जी वर्तमान में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं लेकिन वैचारिक रूप से हम भाजपा के साथ नहीं हैं, हम निर्माण और विकास कार्यों में सरकार के साथ हैं। हम संविधान में मौजूद धर्मनिरपेक्षता के समर्थक थे और अब भी हैं, लेकिन हम उस तथाकथित राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में विश्वास नहीं करते हैं जिसका नेतृत्व कांग्रेस पार्टी कर रही है। जो लोग धर्मनिरपेक्ष होने की बात करते हैं, तो मैं उनसे पूछता हूं कि जब असम के नेल्ली दंगे में 10 हजार मुस्लिम मारे गए थे तब केंद्र से सूबे तक किसकी सरकार थी? वो कांग्रेस की थी, 550 दंगाइयों पर FIR दर्ज हुई, लेकिन कांग्रेस ने सभी को बरी कर दिया, एक को भी सज़ा नहीं हुई, तो ये कैसी धर्मनिरपेक्षता है? जब 1984 में दंगे हुए और सिखों की हत्या हुई तो कांग्रेस ने न केवल यूपीए शासन के दौरान सिखों से माफी मांगी बल्कि सरदार डॉ. मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनाया और उन्होंने माफी भी मांगी। सभी पीड़ितों को मुआवजा दिया गया और दोषी कांग्रेस नेताओं पर केस भी चलाया गया। क्या कांग्रेस ने आज तक नेल्ली दंगे के लिए माफ़ी मांगी है, क्या किसी के खिलाफ केस चलाया गया है? उन्होंने कहा कि अगर हम समाजवादी पार्टी की बात करें, जिसे मुसलमान आंख मूंदकर वोट देते हैं तो जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी तो मुजफ्फर नगर में क्या हुआ था? आज भी न जाने कितने बे घर मुसलमान कैंपों में रहने को मजबूर हैं। यूपी में सैकड़ों दंगे हुए और कार्रवाई सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ हुई। यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है? उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण पेश किए जा सकते हैं, लेकिन हम कहते हैं कि क्या कांग्रेस निज़ाम ए मुस्तफा लागू करेगी, जिसने मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर कर दी? सैयद जलालुद्दीन ने कहा कि हां हमारी पार्टी अभी छोटी है लेकिन हम अल्पसंख्यकों के लिए काम कर रहे हैं महाराष्ट्र में मौलाना आजाद फाइनेंस कॉरपोरेशन का बजट अभी हमारे नेता अजीत पवार जी ने 100 करोड़ से बढ़ाकर 500 करोड़ कर दिया है। हमारी उर्दू अकादमी एक सक्रिय उर्दू अकादमी है। हम अल्पसंख्यकों की समस्याओं और हितों के बारे में खुलकर बात करते हैं।  उन्होंने कहा कि हम वर्तमान में 1857 के बाद उत्पन्न हुई स्थिति जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं , इसलिए हमें टकराव और हिंसा के बजाय, जो भी सरकार में है, उसके साथ मिलकर तालीम, तिजारत , तहफ़्फ़ुज़ को सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए। बातचीत पर जोर देना चाहिए।