कुशीनगर में दूध के शुद्धता पर सवाल, जिले में बीस हजार लीटर दूध की खपत

Milk

( भानु प्रताप तिवारी)
कुशीनगर 7 जनवरी। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में बड़ी मात्रा में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दूध और पनीर आदि की जिले में खपत बढ़ गई है। जिले मेंं रोजाना करीब दस हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। जबकि इसके उलट हर दिन 20 हजार लीटर दूध और 30 से 40 क्विंटल पनीर की खपत है। ऐसे में दूध और पनीर की शुद्धता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दूध का उत्पादन वही है। लेकिन आपूर्ति बढ़ गई है।
ऐसे में आप जांच परख कर पनीर खरीदें, वरना बीमार हो जाएंगे। पौष्टिक समझकर आप जिसे खा रहे हैंए इसकी शुद्धता की गारंटी नहीं है। पनीर से बनी सब्जी, मिक्स आइटम और टिक्का खाने वाले लोग बीमार हो रहे हैं। शहर की कुछ चुनिंदा दुकानों को छोड़ दें, तो अधिकांश में मिलावटी पनीर की बिक्री हो रही है। जिम्मेदार भी मिलावटखोरी पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं। बाजार में बिक रहे पनीर की बात कौन करे। दूध में भी पानी और पाउडर की मिलावट का गणित सेहत बिगाड़ रही है। धंधेबाजों का अपना अलग नुस्खा है। दुकानों पर कई तरह की मिठाई, खोआ, पनीर, घी दिखने में ताजा तो हैं। लेकिन यह सेहत के लिए नुकसानदेह भी है।
जब तक धंधेबाजों के इस गणित को आप समझेंगे तब तक सेहत खराब कर चुके होंगे। सिर्फ पनीर में भी बड़ा खेल सामने आ रहा है। जिले में दूध 60 रुपये लीटर है। जबकि धंधेबाज पनीर 250 से 300 रुपये किलो में उपलब्ध करा दे रहे हैं। इससे पनीर की शुद्धता का आंकलन आसानी से किया जा सकता है। कारोबारियों के मुताबिक जिले में हर दिन 20 हजार लीटर से अधिक दूध और 30 से 40 क्विंटल पनीर की खपत हो रही है। सहालग के दौरान इसकी खपत बढ़ जाती है।
दुकानदार बताते हैं कि जिले में हर दिन करीब 20 हजार लीटर की खपत होती है। लेकिन करीब दस हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। मांग को पूरा करने के लिए धंधेबाज दूध में पानी या पाउडर मिलाकर बेचते हैं। इसमें फैट कम मिलता है।
दुकानदारों को मिठाई या पनीर बनाना होता है। इसलिए मिलावटी दूध से मुनाफा कम होता है। दुकानदार तो धंधेबाजों से जांच परख कर ही दूध लेते हैं। लेकिन घर में उपयोग करने वाले लोग मिलावटी दूध की जांच नहीं कर पाते हैं। इससे उन्हें पानी या पाउडर वाला मिलावटी दूध ही मिलता है। मिलवाटी दूध बिगाड़ सकता है, सेहत रू बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कमलेश वर्मा ने बताया कि यूरिया, कास्टिक सोडा और फॉर्मेलिन मिला दूध पीने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। सबसे अधिक समस्या गैस्ट्रोएंटेराइटिस की होती है। दूध को आमतौर पर पानी मिलाकर पतला किया जाता है। इससे न केवल उसका पोषण मात्रा कम हो जाता है। बल्कि दूषित पानी की मिलावट स्वास्थ्य के लिए कई समस्याएं भी पैदा कर सकता है। लंबे समय तक मिलावटी दूध पीने से बच्चों के अलावा हर उम्र के लोगों को पेट संबंधी बीमारी होने के साथ अन्य कई गंभीर बीमारियों की मुख्य वजह बनती है