मृतकों के परिवारजनों ने फैसले का स्वागत किया , कहा “हमें अदालत से न्याय मिला है”
हत्यारे ने हत्या के बाद शवों को टायर में बांधकर शहर से दूर ले जाकर जला दिया था
नई दिल्ली/ रियाद।सऊदी अरब की अदालत ने आज़मगढ़ के तीन व्यक्तियों के हत्यारे सनीतान अल-उतैबी को मौत की सज़ा सुनाई है। यह फैसला 2019 में हुई हत्या के जुर्म को साबित होने के बाद सुनाया गया। इस घटना में दो सगे भाई शफकत अहमद, शमीम अहमद और फैयाज़ अहमद को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था। अदालत के फैसले के अनुसार, हत्यारे सनीतान अल-उतैबी ने मृतकों को अपने घर बुलाया, उनके हाथ बांध दिए, आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें बंदी बनाया और तेज़ धार हथियार से हत्या कर दी। इसके बाद, सबूत मिटाने के इरादे से उसने शवों को जला दिया, लेकिन जल्द ही सऊदी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
लगभग पांच साल तक चली कानूनी कार्रवाई में, अदालत ने पहले चरण में ‘हक-ए-आम’ के तहत फैसला सुनाया। इसके बाद ‘हक-ए-खास’ में मृतकों के परिवारों ने ‘क़िसास’ (जान के बदले जान) की मांग की थी। 17 अक्टूबर 2024 को अदालत ने क़िसास के तहत अंतिम फैसला सुनाया। मृतकों के परिवारों को 50 पन्नों की अदालत के फैसले की प्रति प्रदान की गई है।

यह मामला रियाद के थुमामा पुलिस थाने का है। 11 जनवरी 2019 को, शफकत अहमद को हत्यारे ने अपने घर बुलाया। जब वे काफी देर तक वापस नहीं लौटे, तो उनके भाई शमीम अहमद और उनके साथी फैयाज़ अहमद उन्हें ढूंढने पहुंचे। हत्यारे ने उन्हें भी घर के अंदर बुलाकर मार डाला। इस तरह तीन लोगों की हत्या की गई और फिर शवों को टायर में बांधकर दूर ले जाकर जला दिया गया। मृतक शफकत अहमद, सनीतान अल-उतैबी के यहां काम करते थे। इस मामले में तीन लोगों – सनीतान अल-उतैबी, राशिद घोबी अल-यमाही और मासाद फालह अल-शमरी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने सनीतान अल-उतैबी को मौत की सजा सुनाई, जबकि मासाद फालह अल-शमरी को लाश को जलाने में मदद करने के जुर्म में साढ़े 12 साल की सजा सुनाई है और राशिद घोबी अल-यमाही अभी तक फरार है।
फैसले पर शफकत अहमद, शमीम अहमद और फैयाज़ अहमद के परिवारों ने कहाकि “हम अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि हमें न्याय मिला।” फैयाज़ अहमद की विधवा अहमदी ने कहा कि “हमने अदालत से जान के बदले जान की मांग की थी, और अब इस फैसले से हमें तसल्ली हुई कि अदालत ने न्याय किया और मेरे पति के हत्यारे को मौत की सजा सुनाई। मैंने खुद डॉ. इनामुल्लाह को अपना वकील चुना था, और उन्होंने पूरी ईमानदारी से केस लड़ा।
शमीम अहमद की विधवा रबाब ने कहा कि हम फैसले से संतुष्ट हैं। हमने क़िसास की मांग की थी, और अदालत ने हत्यारे को जान के बदले जान का फैसला दिया है। शफकत अहमद की विधवा आरिफा ने कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। हम सऊदी अरब की न्याय प्रणाली के आभारी हैं कि उन्होंने हमें न्याय दिया। इस मौके पर मैं एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि जो लोग इस पूरे मामले में तमाशाई बने रहे, बल्कि मुकदमे को कमजोर करने की साजिशें करते रहे, उन्हें इस फैसले ने मुंहतोड़ जवाब दिया है।