खैराबाद ( सीतापुर )27 अक्टूबर : कल रात हाशमी इंटरनेशनल टूर्स एंड ट्रेवल्स लखनऊ के सहयोग से खैराबाद की प्रसिद्ध सामाजिक और साहित्यिक संस्था खैराबाद फाउंडेशन द्वारा “एक शाम खैराबाद के ग़ैर मुस्लिम शायरों के नाम” शीर्षक से एक भव्य सेमिनार, मुशायरे एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । ये मुशायरा कस्बे के मोहल्ला शेख सरांय स्थित हज़रत बड़े मखदूम साहब की दरगाह के पूर्वी हाल में आयोजित किया गया। जिसमें देश के तमाम प्रसिद्ध कवियों और शायरों ने भाग लिया। और अपने बेहतरीन कलाम से दर्शकों की वाह वाही लूटी । इस कार्यक्रम का शुभारम्भ लख़नऊ से मुख़्य अतिथि के तौर पर आयीं बेग़म शहनाज़ सिदरत और क़स्बे से मुख़्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए प्राचीन श्री बिहारी जी मंदिर माख़ूपुर के महंत श्री कृष्णाचारी ने मोमबत्ती जलाकर मुशायरे की शुरुआत की।
इस के बाद बेग़म शहनाज़ सिदरत को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए संस्था की तरफ से बेगम हज़रत महल सम्मान से महंत श्री कृष्णाचारी और शुएब मियाँ सज्जादानशीन दरगाह हज़रत बड़े मखदूम साहब ने संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया। इस दौरान बेग़म शहनाज़ सिदरत ने कहा कि खैराबाद हमेशा से पूरे भारत में अपनी गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए जाना जाता है, और इस कार्यक्रम के ज़रिये उस का एक और उदाहरण आज फिर देखने को मिला है । इस के बाद श्री सईद हाशमी को सादी फ़ारूक़ी के कर कमलों द्वारा जुम्बिश खैराबादी अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं कृष्णाचारी जी ने कवियों और दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम हमें अपनी परंपराओं से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज का ये कार्यक्रम इस लिए भी अति महत्वपूर्ण सम्मान आज हमारे क़स्बे के उन कवियों लिए याद किया गया है जिन को आज की पीढ़ी पूर्ण रूप से जानती भी नहीं है इस कार्य के लिए संस्था का ये प्रयास सराहनीय है । इसके बाद संस्था के अध्यक्ष सैयद ज़िया अल्वी ने सभी उपस्थित लोगों को संस्था के लक्ष्य और उद्देश्यों और कार्यों से अवगत कराया।इसके बाद खैराबाद कस्बे के जाने-माने लेखक फरीद बिलग्रामी द्वारा खैराबाद के ग़ैर मुस्लिम शायरों के इतिहास पर एक बेहतरीन लेख प्रस्तुत किया जिस की सभी ने खूब तारीफ़ की । इस संस्था ने डॉ. श्वेता श्रीवास्तव लखनऊ, मोनिका अरोड़ा देहरादून ,डॉ0 सुधा मिश्रा लखनऊ, राम प्रकाश बेखुद लखनऊ, शाहबाज़ तालिब लखनऊ,संजय हमनवा लखनऊ, इक़बाल बिस्वानी बिसवां,जानी लखनवी,अतीक़ फ़तेहपुरी, ज़हीर कानपुरी, अभिश्रेष्ठ मिश्रा, सादिया खान, मोहम्मद अरशद को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए खैराबाद फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। इन सब के बाद मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आरंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ से आये विश्वविख्यात शायर राम प्रकाश बेखुद ने की और संचालन का फर्ज मशहूर शायर और नाज़िम मुशायरा शाहबाज़ तालिब ने अदा किया ।
सभी शायरों और कवियों की चुनिंदा रचनाएं निम्नलिखित हैं :-
रस्म ए उल्फत में वफाओं का सिला देता है
रूठ कर मुझको को वो हर बार सज़ा देता है।
मोनिका अरोड़ा
मुंजमिद था जब रवानी से अलग रक्खा गया ।
था तो पानी फिर भी पानी से अलग रक्खा गया ।।
राम प्रकाश बेखुद
मेरे कमाल में तेरा कमाल शामिल है ।
कमाल ये है कि इस में मेरा कमाल नहीं ।।
ज़हीर कानपुरी
ग़ज़लकारी मरज़ है शायरों को कौन समझाये ।
ये पागल हो चुके हैँ पागलों को कौन समझाये ।।
शाहबाज़ तालिब
इन के आलावा संजय मिश्रा हमनवा, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव,मोईन अल्वी खैराबादी, हाफ़िज़ मसूद महमूदाबादी, राजेंद्र रंचक, विवेक मिश्र राज़ खैराबादी, इकरार खैराबादी, अभिश्रेष्ठ मिश्रा, अतीक़ फ़तेहपुरी, जानी लखनवी, डॉ0 सुधा मिश्रा, दिलीप वर्मा दिल बाराबंकवी, सय्यद ज़िया अल्वी ने एक से बढ़कर एक शब्द प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. और खूब तारीफें बटोरीं.अंत में सज्जादानशीन शुएब मियाँ ने कहा कि ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम हमारे शहर की साहित्यिक पहचान को जिंदा रखे हुए हैं.जिससे कस्बे के लोगों के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोगों को खैराबाद कस्बे के गौरवशाली अतीत के बारे में पता चल रहा है । देर रात तक चले इस मुशायरे एवं कवि सम्मेलन में साहित्य से प्रेम करने वाले पुनीत सिंह, राम सुमिरन शर्मा वरिष्ठ पत्रकार, अरशद अली बब्बू,नदीम हुसैन, मयंक वाजपेयी, अंकित गुप्ता, आलोक वाजपेयी, सरकार आलम, अस्मारुल हक़, शिबली अज़ीज़, हारिस अज़ीज़,फ़हीम अहमद, समर, सलमान सिद्दीकी, फ़िदा के साथ साथ काफ़ी तादाद में श्रोता मौजूद रहे , अंत में संस्था के अध्यक्ष सय्यद ज़िया अल्वी ने तमाम मेहमानों और श्रोताओं का धन्यवाद दिया ।